Thursday, 23 October 2014

Dipawali Celebration in Uttrakhand



उत्तराखंड में दीपावली उत्सव
उत्तराखंड में दीपावली उत्सव आने से पूर्व कई महीने पहले से इस पर्व कि तेयंरियां  में जुट जाते हैं | सभी लोगो में एक अलग सा उत्साह देखने को मिलता है |
बहुत साल पहले हम लोग अपने गांवों में दीपावली उत्सव अपनी प्राचीन परम्परा के अनुसार बनाते थे | उस समय हम धान के भूसी को मिट्टी तेल के सांथ मिश्रण बना कर घरों के आँगन एवं दीवारो में इसके दीये बनाके जलाया करते थे | अड़ोस पड़ोस और रिश्तेदारों में खिल ,बतासे, खिलौने आदि बांटते थे और आपस में गले मिलते थे |
दीपावली का उत्सव पुरे १२ दिन एवं रात तक अपने अपने नियम अनुसार त्यौहार एवं खाना होता था जिसमे बेडू लघेड़ , बड़, खीर , सूजी, एयं घी , दही आदि को घर पे बनाते और खाते थे |
लेकिन आज का दिवाली उत्सव धान भूसी युक्त नहीं है | लेकिन क्यों ?
क्योंकि आज गांवों में बिजली के लाइट प्रज्वलित हो रहे हैं और बम , फाटकों  का भी जोर शोर से इस्तिमाल  हो रहा है | अब हमें वो पुरानी दिवाली देखने को नहीं मिलती क्योंकि अब गांवों में लोगो के बीच वो भाईचारा नहीं रहा जो कि सही नहीं है |
सभी को में आंखिर में कहना चाहूंगा कि सभी अपनी पुरानी परम्परा और नए तरीकों को सांथ लेके इस पर्व को मनाएं | और आंखिर में मेरी ओर से सभी को दिवाली कि बहूत बहूत शुभकामनाएं|



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